शौक मुझको भी है जीने का, मुझे जीने दो
मुझपे बस इतना करो एहसान , मुझे जीने दो
मौत का खौफ नहीं वो तो जरूर आयेगी
अपने हिस्से की हो बसर उम्र , मुझे जीने दो
कत्ल करते हो मेरा चंद सिक्कों के लिए
ये ना दे पायेगी तुम्हे इक सांस, मुझे जीने दो
ना रहा मैं तो न बच पाओगे दानिशमंदो
खुद की खातिर तो न करो खत्म, मुझे जीने दो
बढ़ा ली कौम अपनी नादानी में ही सही
इंतजाम उनके लिए एक ताजा बयार, मुझे जीने दो
पेड़ों को बचायें यही सच्चा धर्म है ........... संजू
पेड़ों को बचायें यही सच्चा धर्म है
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति |
बधाई ||
Edit
जवाब देंहटाएंआदिबासी जो जंगल के रक्षक है उनको तो अपना जीबन लघु बनौपाज से चलना है और पर्याबरण का संरक्षण करना है है ... जय बिकसित भारत .
by Umesh Chandra Gaur on Monday, September 12, 2011 at 10:01pm
पेड़ लगाकर ही हम प्रकर्ति को बचा सकते है हमारी संस्क्रती में पेड़ो की पूजा का प्राबधान किया किया गयाहै जाहे कोई भी पर्व हो पहले जल अर्पण बाद में सुभ कार्य हमारे पुर्बज जानते थे की पेड़ लगाना और उसको पलना हमे स्वस्थ जीबन प्रदान करता है ,लेकिन आज का मानव इन पेड़ो को काटकर अपनने सोंदर्य को बढाने के नय नय तरीके अपना रहे है ,महल बनाय जा रहे है जगल उजाड़े जा रहे है भू माफिया इन पेड़ो को काट कर नगर बना रहे है ,कुछ अपराधी पेड़ काटकर तस्करी लकड़ी की कर रहे है ,बन में रहने बाले आदिबासी जो पेड़ो से प्यार करते है उन्हें बन विभाग के लोग झुटा फसा रहे है,एक बार में भारत सरकार के अधिकारियो को लेकर १३ दी तक जंगल -२ घुमा अक्टूबर से हमने बन विभाग के अधिकारियो से मीटिंग की जिससे उन आदिबासी जो पेड़ नहीं काटते लेकिन उनसे मिलने बाली लघु बनौपाज से अपना जीबन चलाते है,उनकी समस्याओ का अध्यन किया साथ में श्री गर्ग निदेसक एवं सचिव स्तर के लोग थे एक जिले में तो अधिकारी ही नहीं पहुचे जब की दिल्ही से हम लोग पहुचे थे पेड़ काटने बालो को किसी का डर नहीं बह तो अमिर बनने हेतु पेड काट रहे है और दोष मढ़ रहे है उनआदिबासी पर जो जंगल के रक्षक है उनको तो अपना जीबन बनौपाज से चलना है और पर्याबरण का संरक्षण करना है है ... .जय बिकसित भारत