गुरुवार, सितंबर 29, 2011

अभी अभी मेरे दिल में खयाल आया है

अभी अभी मेरे दिल में खयाल आया है
कि तुम 2 जी फोन से काल करते

और फोन टेप हो जाता ,पकड़े जाते
तुम भी राजा के साथ रूम शेयर करते
काणीमाई से नजरें चार करते
दिल्ली में कड़कती ठण्ड का मौसम
तुम वो खाते तुम ये पीते
कितना मजा आता जब
वो बंद दीवारों के खुले आसमाँ वाला तिहाड़
तुम ,राजा, काणी और बेगपाईपर
मिल बैठते चेन्नई के जब चार यार
फिर जैसे जैसे रात होती गुलजार
तुम कुछ सुनते तुम कुछ कहते
आँखों आँखो में ही सपने बुनते
फिर रात गहराती जब ठण्डी बढ़ती
आधी लुंगी बिछा और आधी ओढ़कर
डाऊनलोड लिक्विड के सहारे
तुम खुद को अपलोड करते
3G मच्छरों को देखकर
याद आते तुम्हे पाटेकर
और तुम मन ही मन बड़बड़ाते
साला एक चिठ्ठी मच्छर की तरह
आदमीं को मंत्री से कैदी बना देता है
मगर ये हो ना सका


मगर ये हो ना सका
अब तो ये आलम है
पिंचू खुद ही कह रहा है
चिब्बू के बाद मन्नू ही नम्बरी है
और जी”जा”जी” माँ की कमजोरी है
इसलिए मन्नू का बचना जरूरी है
जैसे देशी के लिए चाखना जरूरी होता है
वैसे ढकने के लिए लूँगी मजबूरी होता है
अभी अभी मेरे दिल में खयाल आया है
अभीअभी, अभी अभी ........... जय हो

मंगलवार, सितंबर 27, 2011

भगत सिंह के जन्म दिवस पर

जन्मदिवस पर अमर शहीद भगत सिंह को कृतज्ञ भक्त की श्रध्दांजली
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लिखो  खूब  लिखो 
भूख प्यास त्याग कर
जज्बातो
ं को मार कर
गोरी के गाल पर
लहराते बाल पर
बल खाई चाल पर
मतवाले नैंन पर
सजनी बिन रैन पर
झील सी आँख पर
अगल बगल ताक कर
लिखो  लिखो ये भी लिखो 
उसका मुँह फेरना
आग का झरना                                   
वो आँखे झपकाना 
पद्मनाभ का सोना
उसका मिस काल
जैसे स्वयं कृपाल
उसकी  अंगड़ाई
जैसे प्रकटे रघुराई
अगर वो ना आई
मौत क्यूँ ना आई
लिखो लिखो खूब लिखो
किसने तुम्हे रोका है
किसने तुम्हे टोका है
मगर ऐ जवानी के मतवालों
कभी तो लिखो कुछ तो लिखो 
भारत माँ के लाल पर
उसके रक्तिम भाल पर
शहीदों के हाल पर
उनके बाल गोपाल पर
उस दुखियारी नार पर
उसके सूने द्वार पर
पथराई  आँख पर
उसके उजड़े माँग पर
कभी तो लिखो कुछ तो लिखो 
सीमा पर जिसके लड़ने पर
तुमने चैन से आँख लड़ाई है
उसके भूखे प्यासे रहने पर
तुमने अपनी डेट मनाई  है
वो सीमा पर जब शहीद हुआ
तेरे घर पर बकरीद हुआ
वो खेला जब खूँ की होली
तेरे घर मनी थी दीवाली
जब सेंक रहे थे तुम ठण्डी में आग
तब बुझ गया एक घर का चिराग
लिखो लिखो कभी तो लिखो
उल्टी सीधी जैसी बन पड़े
लिखो लिखो लिखकर तो देखो
सैनिक की जवानी पर
शहादत की कहानी पर
माँ की पथराई आँखो पर
सजनी के सूने माथे पर
गोपाल के बचपन पर के
लिखकर तो देखो
कसम भगवान की
हाथों से कलम छूट जायेंगे
चेहरे से तोते उड़ जायेंगे
ये गोरी के नखरे नहीं हैं
ऐ भटकी हुई जवानी
जो तेरे गिड़गिड़ाने से
दो चार पल में मान जायेंगे
अब भी वक्त है सम्भल जाओ
मना नही है वेलेंटाइन डे मनाओ
प्रेम पींगे बढ़ाओ
गोरी के नाज उठाओ
पर ऐ मनचलों
देश पर जो हुए शहीद
उन सपूतों को तो न भूल जाओ !

अमर शहीद युवा भगत सिंह को कृतज्ञ भक्त का सादर कोटिश: नमन  .....

शनिवार, सितंबर 24, 2011

बत्तीसी अमीरी

दिल्ली के दरबार से लेकर राशन आये हम
कुछ तुम हवा खा लो कुछ पानी पी ले हम
 

काबा-ओ-काशी के झगड़े में मसरूफ रहनुमा
राम-ओ-खुदा साथ लिए चौराहे पर बैठे हम  

पत्थर उबालती रही शब भर चुल्हे में माँ
बच्चे पुछते रहे खायें या पी जायें इसे हम 
 

जीने का हक तो खो भी चुके तेरे राज में
मरने के लिए इंतजाम-ए-जहर कैसे करे हम  

तुम्हारी रहनुमाई में जिस्म भी बिक गई 
चंद साँसों के लिए और क्या क्या बेचे हम 
 

नहीं कोई उम्मीद बस एक एहसान करो
चुल्लूभर पानी अता करो के डूब मरे हम

गुरुवार, सितंबर 15, 2011

हिंदी की महिमा

एक अप्रवासी  भारतीय “लाला” ने
राजस्थानी देशी कन्या से
विवाह का मन बनाया  
हिंदी कम जानने के कारण
उसने ट्यूशन लगवाया
फिर अपने मास्टर को
नवाबीपन दिखाया
आप पैसों की चिंता
बिल्कुल मत कीजिए
जितनी जल्दी हो सके
बस हिंदी सीखा दीजिए
मास्टर भी निकला पक्का सरकारी
साईड बिजनेस में करता था ठेकेदारी 
उसने भी एक जबरदस्त शार्टकट निकाला
एक ही दिन में पूरा कोर्स निपटा डाला
बोला शिष्यजी एक काम कीजिए
मन में अच्छी तरह गाँठ बाँध लीजिए
किसी भी शब्द से पहले यदि
“कु” लगा हो तो अर्थ खराब होता है
उसी शब्द में यदि “सु” लग जाय तो
अर्थ बदल कर अच्छा हो जाता है
लाला बोला एक कष्ट कीजिए
उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए
गुरूजी बोला  अभी लीजिए
जैसे कुप्रबंध - सुप्रबंध
कुयोग्य - सुयोग्य
कुशासन – सुशासन
कुमति – सुमति
इत्यादि इत्यादि
लाला बोला थैंक्यू श्रीमान
हो गया हमे हिन्दी ज्ञान
लाला ने झटपट विवाह रचाया
और पहली बार ससुराल आया
सासु माँ ने धूमधाम से की अगुवाई
जैसे वनवास से लौटे हों रघुराई
माहौल था पूरे घर में दिवाली सा
बोली पधारो म्हारो देश “कुंवर” सा
लाला इससे परेशान हो गया
गुस्से से कुछ लाल हो गया
कहने लगा हमें भी हिन्दी आती है
आपकी बातें हमे कष्ट पहुँचाती है
खबरदार आप हमें कभी “कुंवर” सा ना कहें
कहना ही अगर जरूरी है तो
आगे से हमे “सुंअर” सा ही कहा करें !! जय हो !!

मंगलवार, सितंबर 13, 2011

लेट्स सेलिब्रेट हिन्दी डे

आज गली गली में शोर है
एक ही नारा चहुँ ओर है
हिन्दी का जोर है, हिन्दी का जोर है
रास्ते पर एक सज्जन को रोका
आदतन उँगली करता हुआ उससे पूछा 
आज क्या बात है भाई
क्यूँ कर रहें है सब हिन्दी की पगुराई


उसने कहा तुम भी बड़े गँवार हो
तुम्हारे भारतीय होने पर तरस आता है
अरे कमजर्फ क्या तुम्हे ये भी पता नहीं
चौदह सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है


उनके दिव्य चरणों मे निगाह जमाया
और एक निवेदन फरमाया
गुरूदेव मुझ पर कृपा दृष्टि कीजै
समारोह में हिन्दी पर मैं भी बक सकूँ
इस हेतु कुछ उम्दा लिखकर मुझे दीजै 


हमें टालने की फिराक में
बड़े दार्शनिक अंदाज में
उन्होने मुझे बताया
लिखा हुआ पढ़ोगे तो फजीहत होगी
अमूल बाबा से तुम्हारी तुलना भी होगी
इस हेतु बड़ा आसान उपाय है
हिन्दी माँ और अँग्रेजी पन्ना धाय है
इस सम्बंध को मन में रखो
फिर जो जी में आये बको  


उनके दिव्य ज्ञान से अभिभूत होकर
हमने जो कहा, सुने उसे मौन स्तूप होकर


सम्माननीय जेंटलमेन एवं लेडिसेस
हिन्दी डे पर आप सब को बेस्टविसेश
हिन्दी हम भारतीयों की मदर लेंगुएज है
मदरलेंगुएज बिना लाईफ सीवेज है
माना आज के मेट्रोपालीटिन ईरा में
लाईफ कंजस्टेड हो गई है
छोटे से फ्लेट के कारण मदर के लिए
ओल्ड एज होम की मजबूरी हो गई है
लेकिन क्या हम एक दिन भी माँ के लिए
मदर्स डे नहीं मना सकते है
अरे माँ के मिल्कलोन का मूलधन ना सही
ब्याज तो चुका सकते हैं
चाहे साल भर पब और होटलों में
वाईफ के साथ इंज्वाय कीजिए
लेकिन कम से कम एक दिन
मदर्स डे सेलिब्रेट कीजिए
इसलिए मेरी आपसे बस एक रिक्वेस्ट है
भले ही मजबूरी में इंग्लिश साल भर यूज कीजीए
बट एटलिस्ट आज के दिन हिन्दी में बात कीजिए
और "मात्तर" भाषा को पूरी रिस्पेक्ट देकर
भारत देश के उपर एहसान कीजीए
अगेन आप सबको हैप्पी हिन्दी डे ..  चीयर्स हिप हिप हुर्रे....

सोमवार, सितंबर 12, 2011

नयन वाणी

नयनो को तो वही दृष्य था 
जो सारे जग ने देखी थी
सबके अधर से वाणी फूटी 
किंतु मेरे चक्षु क्यूँ बरस पड़े
सबकी वाणी स्वर गुंजन है
मेरे स्वर क्यूँ अविरल बहते
शायद मेरी रीत अलग है
मैं अंतर्मन से दर्शन करता
नयनों से उच्चारण करता 
मुझको प्रतिक्षा तेरी मधुसुदन
नयनों की वाणी यदि समझो
फिर सूरदास बन इठलाऊँ
गीत वही पुरानी गाऊँ
हाथ छुड़ाये जात हो
निर्बल जान के मोय
ह्रदय से जब जाओ तो
सबल मैं जानू तोय ,,,,,,,  जय हो

शनिवार, सितंबर 10, 2011

पेड़ की पुकार


एक मनुष्य एक दिन में इतना ऑक्सीजन लेता है जितने में 3 ऑक्सीजन के सिलेंडर भरे जा सकते हैं | एक ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत होती है रु.700 इस तरह एक मनुष्य एक दिन में रु.2100 (700X3) की ऑक्सीजन लेता है और 1 साल में रु.766500 कि और अपने पूरे जीवन (अगर आदमी कि उम्र 65 साल हो) में लगभग रु.5 करोड़ का ऑक्सीजन लेता है जो कि पेड़-पौधों द्वारा हमे मुफ्त में मिलता है और हम उन्ही पेड़ पौधों को समाप्त कर रहे है | जरा इस पेड़ की पुकार भी सुने ........





शौक मुझको भी है जीने का, मुझे जीने दो
मुझपे बस इतना करो एहसान , मुझे जीने दो 

मौत का खौफ नहीं वो तो जरूर आयेगी
अपने हिस्से की हो बसर उम्र , मुझे जीने दो 

कत्ल करते हो मेरा चंद सिक्कों के लिए
ये ना दे पायेगी तुम्हे इक सांस, मुझे जीने दो 

ना रहा मैं तो न बच पाओगे दानिशमंदो
खुद की खातिर तो न करो खत्म, मुझे जीने दो 

बढ़ा ली कौम अपनी नादानी में ही सही
इंतजाम उनके लिए एक ताजा बयार, मुझे जीने दो


पेड़ों को बचायें यही सच्चा धर्म है ........... संजू