तोहरी गली में आये रे सलोनी
तनिक अटरिया पे दरश हुई जावे
नजरिया के बानो से मार जरा सा
तरपत जिया को चैन मिल जावे
फागुन आये भीगी चुनरिया
रंग अबीर से जिया ना बुझाये
एक नजर हमसे मिलई के
गाल गुलाबी तोहरा हुई जावे
गोकूल ढूँढा तोहे मथुरा ढूँढी
एक झलक भी कहीं ना मिल पाये
जमुना तट पर आ जा रे गोरी
रास रंग तनिक हुई जावे
कब तक हमसे बैरी रहियो
आ के नयना के प्यास बुझई जा
तोहरे बिन अब चैन मिले ना
काहे मोरी निंदिया चुरावे
तुम ना सुनियो तो कासे कहें हम
कौ से अपनी पीर बतायें
तोहरे कारन जग बैरी हुई गई
तू ही हमसे नजरे चुरावे
मारा पिचकारी सर रर रर !! जय हो !!