बुधवार, अप्रैल 25, 2012

ग्राम सुरा अभियान


सुराज अभियान में अध्यापक पीकर आया
मंत्री ने गुस्से में आकर सरे आम हड़काया

बोले बेवकूफ शर्म  नहीं  आती  है 
गुरूजी हो और मुँह से शराब की बदबू आती है

अध्यापक थरथराते हाथ जोड़ कर फरमाया
हुजूर गरीब, हिंदी माध्यम की शाला से पढ़कर आया है
लेकिन हिंदी के पर्यायवाची शब्दों का अद्भुत ज्ञान पाया है

शराब को सुरा भी कहते हैं क्या आपको भान है
सुरा का वेदों शास्त्रों और पुराणों में भी बखान है

इस अभियान हेतु जो आदेश उच्च कार्यालय से आया
पता नहीं उसमें सुराज के “ज” का कमीशन किसने खाया
और कुछ इस तरह छपा आदेश मुझे तामील कराया 

आपकी ग्राम सुरा अभियान में ड्यूटी लगाई जाती है
इस महती योजना की सारी जवाबदेही आपको सौंपी जाती है
अपनी पूरी तैयारी के साथ अभियान स्थल पर उपस्थित रहें
वरना एक पक्षीय अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु तैय्यार रहें


शासकीय अनुदान राशि हम तक कहाँ पहुँच पाती है
स्कूल के छोटे मोटे खर्चे भी जेब से करवाती है
सोचा कार्य के प्रति लापरवाही में निलम्बित ना हो जाऊँ
इसलिए अच्छा है स्वयं के खर्चे से पूरी तैय्यारी से जाऊँ

सुरा अभियान के बीच में ही नशा उतरने का भय सताया
इसिलिये माईबाप आज डबल पैग लगाकर अभियान में आया

!! जय हो !!

गुरुवार, अप्रैल 12, 2012

बिदाई - दो मुक्तक


          -1-

बेटी को विदा करते समय
बाप ने भरपूर दहेज भी दिया
सास ने चहक चहक कर
पूरे बिरादरी में कहा
मैने बहु नहीं बेटी पायी है
दहेज में संस्कार लायी है
विवाह के तीन महिनो में ही
बहु का संस्कार सामने आया
उसने सास ससुर को
वृध्दाश्रम भिजवाया ! 
         -   2 -  

बेटी को विदा करते समय
गरीब बाप ने हाथ जोड़कर
समधी से कहा
दहेज में बेटी को
केवल संस्कार दिये है
शालीनता सौम्यता
सद्विचार ही दिये हैं 
सास ने आँखे तरेरते हुए  
पूरे बिरादरी में कहा
ना जाने किस जनम की
हमने सजा पायी है
बहु के माँ बाप ने इसे
संस्कार तक नहीं सिखाई है
विवाह के तीन महिनो में ही
सास का संस्कार सामने आया
दहेज के चंद रूपये हेतु  
उसने बहु को आग लगाया !