शुक्रवार, जनवरी 27, 2012

अक्षर गीत

पथिक ,
आ चलें प्रगति पथ पर
मुक्त हों कृष्ण जाल से
प्राप्त हों प्रज्ञा प्रकाश को
आ चलें प्रगति पथ पर  .............  

कंटक बंधन के बिखरे यत्र तत्र
छाया घनघोर तिमिर सर्वत्र
सूझते नहीं जब हाथों को हाथ
प्रज्ञा ज्योति प्रज्वलित कर
आ चलें प्रगति पथ पर  .............  

धवल पत्रों में जो कृष्ण तार हैं
इन्ही में छिपा जीवन सार है
ज्ञान सरोवर के इस भंडार से
अक्षर मोती कुछ समेटकर
आ चलें प्रगति पथ पर  .............  

ज्ञान गंगा अविरल बह रही  
हस्त मुक्त नहीं पर कुंठित मन से
भूल उम्र के व्यर्थ जाल को
पवित्र जल का आचमन कर
आ चलें प्रगति पथ पर  ............. 

ज्ञान उन्नति का मार्ग जान ले
अज्ञानता भटकायेगी जान ले
बात संजय की तू मान ले
अवसर फिर न आयेगी द्वार पर
आ चलें प्रगति पथ पर  .............

बुधवार, जनवरी 25, 2012

मेरा गाँव क्यूँ शहर हो रहा है

रहनुमा कह रहें है विकास हो रहा है
आदमी आदमी का भरोसा खो रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है   

गाँव के कुएँ अंधे होने लगे हैं
हर घर में ट्यूबवेल खुद रहा है 
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है 

तालाब को पाट कर कह रहे हैं
यहाँ स्वीमिंग पुल बन रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है 

सैकड़ो एकड़ खेतों की बलि चढ़ाकर
सुना है हाथी पार्क बन रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है 

जहाँ हमने खेला था गुल्ली औ डंडा 
वहाँ अब हेलीपेड बन रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है 

वो पगडंडियों पर बारिश की कश्ती
कुछ रोज से नाली खुद रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है 

बाबा के काँधे पर स्कूल क्योँ जायें
बच्चों के लिए अब बस चल रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है 

छुट्टी की घंटी पर उछलने के बदले 
ट्यूशन के लिए बस्ता ढो रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है 

वो स्कूल का आँगन जहाँ भीगते थे
काँक्रीट के खम्बों पर छत ढल रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है  

गायब है मंदिर से कीर्तन की मण्डली
कोई बाबा लोगों पे किरपा कर रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है 

नुक्कड़ पे पनवाड़ी डब्बे से गायब
अब हर शख्स नेट पर चैट रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है 

हुई गुम भोलाचाचा के आलू की भजिया 
वहाँ पेस्ट्री पीजा और बर्गर बिक रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है 

बागों के झूले पर चाची ना बुआ
टीवी की स्क्रीन पे रिश्ता बन रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है 

अब गोरी की नजरें झुकती नहीं है
सीधे मोबाईल से मेसेज हो रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है 

वो बैलगाड़ी में बाजार जाना 
कहते है अब आटो चल रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है 

मकानो की दूरी तो कम हो गई है
दिलों का फासला पर बढ़ ही रहा है

मेरा गाँव अब शहर हो रहा है 

ना चाचा ना ताऊ ना फूफा ना जीजा
हर एक शख्स गणमान्य हो रहा है

मेरा गाँव अब शहर हो रहा है  

मुझे कोई शिकवा शिकायत नहीं हैं
पर कैसे मैं बोलूँ ये क्या खो रहा है
मेरा गाँव क्यूँ शहर हो रहा है
मेरा गाँव क्यूँ शहर हो रहा है....................

मंगलवार, जनवरी 24, 2012

“मत”दान महादान

विधानसभा चुनाव में
लोकतंत्र का पर्व मनाने
वोटर जैसे तैसे
मतदान केंद्र तक आया
केंद्र के मेन गेट पर लगे
सूचना फलक पर 
उम्मीदवारों की सूची देखकर
दिमाग ने चक्कर खाया
सम्भलकर तमतमाता
पीठासीन अधिकारी के
टेबल तक आया
चिंता और कौतूहल के
मिश्रित अंदाज में
दबे स्वर में गरियाया
बाबू साहब
आपका नकली मतपत्र
बिल्कुल नकली है
पिछले चुनाव में खड़े
उम्मीदवारों के नाम तो ठीक हैं
पर उनके सामने चुनाव चिन्ह की
हो गई अदला बदली है 
पीठासीन ने कहा रे मूरख
दुनिया बदल गई
पर तुने अपनी सोच नहीं बदली है
लंगोट अगर नहीं बदलो तो
हो जाती खुजली है
ये और बात है कि
अबकी इन महानुभावों 
आपस में ही बदली है
मतपत्र बिल्कुल ठीक छपा है
पर ये बता तू यहाँ क्यूँ डटा है
वोटर ने शास्त्रीय अंदाज फरमाया
नेताजी ने कल जो बोतल थमाया
उसी का कर्ज उतारने
ये गरीब मतदान करने आया 
अबे तूने ठीक से सुना नहीं होगा
आदरणीय नेताजी ने कहा होगा
तुम्हारा वोट कीमती है
“मत” दान करो
अपना नहीं तो कम से कम
नेता जी पर तो रहम करो
इन सबकी चिंता छोड़
कल की अगर दवा बची हो
तो उसी को निचोड़
इतनी गरीबी में
तू क्यूँ दान करने आया है
तेरी गरीबी पे तरस खाकर
आदरणीय नेताजी ने 
किसी धर्मात्मा से
तेरा मत दान कराया है !! जय हो !!   

शुक्रवार, जनवरी 20, 2012

आम आदमी की मानहानि

नेता ने धोखे से
जिस आदमी को
रक्त दान किया
उस आदमी को
साँप ने काँटने से
साफ इंकार किया
आदमी में दौड़ता
नेता का खून बौखलाया
उसे ये अपमान
बर्दाश्त नहीं हो पाया
तत्काल उसने न्यायालय में
मानहानि का केस लगाया
केस लड़ने हेतु उसने
हमारे अम्मी भैय्या को
वकालतनामा थमाया
अम्मी भैय्या सज्जन ठहरे
केस देखकर उस पर बिफरे
बोले रे आम आदमी
पहनने को पाजामा नहीं
टाई खरीद रहा है
सौ ग्राम खून से
इतना उछल रहा है
तीन चार पेशी में
सारी अकड़ भूल जायेगा
अबे बत्तीस रूपये के मनमोहन
केस जीत भी गया तो
मानहानि में कितना पायेगा
और वकील की फीस
क्या अपनी किडनी बेच के चुकायेगा !! जय हो !!

रविवार, जनवरी 01, 2012

नववर्ष शुभकामना

जिंदगी की छोटी-छोटी खुशियाँ ..
तमाम उलझनों और तकलीफों को झेलता
ख्याल ये नहीं कि मौका क्या है
किसका त्यौहार है
क्यूँ मनायें इसे
बस किसी तरह
दो पल की खुशियाँ नसीब हों
कतरा कतरा खुशियाँ समेटने
रात दिन जद्दोजहद में लगा
मध्यमवर्गीय परिवार
मैं भी उसी भीड़ का हिस्सा हूँ
नहीं जानता ये न्यू ईयर
क्यों मनाया जाता है
बस तसल्ली इसी बात की
इस भागती दौड़ती मशीनी दुनियाँ में
रूकूँ और दो पल हँसू
खुद को भूल कर
खुद के लिए जी सकूँ
ऐसा ही मौका
नये साल 2012 के आगमन का
विदाई 2011 का
दिन भर बेमौसम बारिश
लेकिन हमने उसे शाम को ही थाम लिया
फिर एक सांस्कृतिक संध्या
ठीक 12 बजे आतिशबाजी
कुछ दोस्तों से गले मिलना
यही है नये साल का जश्न
2013 भी आयेगा
कोई नई बात नहीं है
पर 2011 जाते जाते
अनमने से ही सही
दो पल की खुशियाँ दे गया
यकीनन आप को भी मिला हो
इन्ही खुशियों को सहेजते हुए
एक उम्मीद पर
आने वाला साल 2012
कुछ बेहतर होगा
आपके लिए भी यही कामना
परमपिता परमेश्वर से

विश्व शांति को
राष्ट्र  उन्नति को
समाज समृध्दि को
व्यक्ति आनंद को हो प्राप्त
नववर्ष की शुभकामना ...   !! जय हो !!