रहनुमा कह रहें हैं विकास हो रहा है
आदमी आदमी का भरोसा खो रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
गाँव के कुएँ अंधे होने लगे हैं
हर घर में ट्यूबवेल खुद रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
तालाब को पाट कर कह रहे हैं
यहाँ स्वीमिंग पुल बन रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
सैकड़ो एकड़ खेतों की बलि चढ़ाकर
सुना है हाथी पार्क बन रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
जहाँ हमने खेला था गुल्ली औ डंडा
वहाँ अब हेलीपेड बन रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
वो पगडंडियों पर बारिश की कश्ती
कुछ रोज से नाली खुद रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
बाबा के काँधे पर स्कूल क्योँ जायें
बच्चों के लिए अब बस चल रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
छुट्टी की घंटी पर उछलने के बदले
ट्यूशन के लिए बस्ता ढो रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
वो स्कूल का आँगन जहाँ भीगते थे
काँक्रीट के खम्बों पर छत ढल रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
गायब है मंदिर से कीर्तन की मण्डली
कोई बाबा लोगों पे किरपा कर रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
नुक्कड़ पे पनवाड़ी डब्बे से गायब
अब हर शख्स नेट पर चैट रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
हुई गुम भोलाचाचा के आलू की भजिया
वहाँ पेस्ट्री पीजा और बर्गर बिक रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
बागों के झूले पर चाची ना बुआ
टीवी की स्क्रीन पे रिश्ता बन रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
अब गोरी की नजरें झुकती नहीं है
सीधे मोबाईल से मेसेज हो रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
वो बैलगाड़ी में बाजार जाना
कहते है अब आटो चल रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
मकानो की दूरी तो कम हो गई है
दिलों का फासला पर बढ़ ही रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
ना चाचा ना ताऊ ना फूफा ना जीजा
हर एक शख्स गणमान्य हो रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
मुझे कोई शिकवा शिकायत नहीं हैं
पर कैसे मैं बोलूँ ये क्या खो रहा है
मेरा गाँव क्यूँ शहर हो रहा है
मेरा गाँव क्यूँ शहर हो रहा है....................
आदमी आदमी का भरोसा खो रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
गाँव के कुएँ अंधे होने लगे हैं
हर घर में ट्यूबवेल खुद रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
तालाब को पाट कर कह रहे हैं
यहाँ स्वीमिंग पुल बन रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
सैकड़ो एकड़ खेतों की बलि चढ़ाकर
सुना है हाथी पार्क बन रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
जहाँ हमने खेला था गुल्ली औ डंडा
वहाँ अब हेलीपेड बन रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
वो पगडंडियों पर बारिश की कश्ती
कुछ रोज से नाली खुद रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
बाबा के काँधे पर स्कूल क्योँ जायें
बच्चों के लिए अब बस चल रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
छुट्टी की घंटी पर उछलने के बदले
ट्यूशन के लिए बस्ता ढो रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
वो स्कूल का आँगन जहाँ भीगते थे
काँक्रीट के खम्बों पर छत ढल रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
गायब है मंदिर से कीर्तन की मण्डली
कोई बाबा लोगों पे किरपा कर रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
नुक्कड़ पे पनवाड़ी डब्बे से गायब
अब हर शख्स नेट पर चैट रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
हुई गुम भोलाचाचा के आलू की भजिया
वहाँ पेस्ट्री पीजा और बर्गर बिक रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
बागों के झूले पर चाची ना बुआ
टीवी की स्क्रीन पे रिश्ता बन रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
अब गोरी की नजरें झुकती नहीं है
सीधे मोबाईल से मेसेज हो रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
वो बैलगाड़ी में बाजार जाना
कहते है अब आटो चल रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
मकानो की दूरी तो कम हो गई है
दिलों का फासला पर बढ़ ही रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
ना चाचा ना ताऊ ना फूफा ना जीजा
हर एक शख्स गणमान्य हो रहा है
मेरा गाँव अब शहर हो रहा है
मुझे कोई शिकवा शिकायत नहीं हैं
पर कैसे मैं बोलूँ ये क्या खो रहा है
मेरा गाँव क्यूँ शहर हो रहा है
मेरा गाँव क्यूँ शहर हो रहा है....................
Sunder Mr. Sanjay Mahapatra, accolades
जवाब देंहटाएंतेरे गाँव पर भी अब कहर हो रहा है
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