जिंदगी की छोटी-छोटी खुशियाँ ..
तमाम उलझनों और तकलीफों को झेलता
ख्याल ये नहीं कि मौका क्या है
किसका त्यौहार है
क्यूँ मनायें इसे
बस किसी तरह
दो पल की खुशियाँ नसीब हों
कतरा कतरा खुशियाँ समेटने
रात दिन जद्दोजहद में लगा
मध्यमवर्गीय परिवार
मैं भी उसी भीड़ का हिस्सा हूँ
नहीं जानता ये न्यू ईयर
क्यों मनाया जाता है
बस तसल्ली इसी बात की
इस भागती दौड़ती मशीनी दुनियाँ में
रूकूँ और दो पल हँसू
खुद को भूल कर
खुद के लिए जी सकूँ
ऐसा ही मौका
नये साल 2012 के आगमन का
विदाई 2011 का
दिन भर बेमौसम बारिश
लेकिन हमने उसे शाम को ही थाम लिया
फिर एक सांस्कृतिक संध्या
ठीक 12 बजे आतिशबाजी
कुछ दोस्तों से गले मिलना
फिर एक सांस्कृतिक संध्या
ठीक 12 बजे आतिशबाजी
कुछ दोस्तों से गले मिलना
यही है नये साल का जश्न
2013 भी आयेगा
कोई नई बात नहीं है
पर 2011 जाते जाते
अनमने से ही सही दो पल की खुशियाँ दे गया
यकीनन आप को भी मिला हो
इन्ही खुशियों को सहेजते हुए
एक उम्मीद पर आने वाला साल 2012
कुछ बेहतर होगा
आपके लिए भी यही कामना
परमपिता परमेश्वर से
विश्व शांति को
राष्ट्र उन्नति को
समाज समृध्दि को
व्यक्ति आनंद को हो प्राप्त
नववर्ष की शुभकामना ... !! जय हो !!
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