बुधवार, अक्तूबर 19, 2011

चरण पादुका की अभिलाषा


चाह नहीं मैं निरमा बाबा के
चरणों में पहना जाऊँ 

चाह नहीं, सेक्सी मल्लिका के
चरण चिपक युवको को ललचाऊँ 

चाह नहीं, मधु सप्रे पर  
अगजर के संग डाला जाऊँ 

चाह नहीं, सचिन के किट बैग पर
कांधे चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ 

चाह नहीं अम्मा का बनकर  
खुद चलूँ और पूजा जाऊँ  

मुझे निकाल कर सब जनता
उनके मुख पर मिलकर ठोकें   

मातृभूमि का शीश काटने
भूषण , बुकरी जो भी भौंके ।।

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