गुरुवार, जून 30, 2011

अमर व्यथा कथा

कैसे कैसे लोग आ गये
तेरी जगह मेरे भाई 
बहुत दिनों से" परपीड़ा" की
व्यथा न दी मुझे सुनाई
अमर भाई ,
तेरी याद बहुत ही आई

रात चाँदनी दूरभाष पर
कैसी कैसी मधुर कथा
बिपाशा से दो टाँगो के
बीच की वो रूचिकर कथा
तुमसे अच्छा कौन है जग में
मूसरचंद मेरे भाई
अमर भाई ,
तेरी याद बहुत ही आई

दुनिया बिसरा दे चाहे
मैं कैसे ये भूलूंगा
शांतिभूषण के काण्ड को अब
किस महान क्रांति से तौलूँगा
कितने सारे पापड़ बेलकर
तूने" अद्-भूत"  सी डी बनाई
अमर भाई ,
तेरी याद बहुत ही आई

दाल गला रही राहों पर
चुल्हे में अब जयप्रदा
मायावती पर आ गई
देखो कैसी विकट आपदा
ईंधन पर लगी आग से
तूने खिचड़ी नहीं पकाई
अमर भाई ,
तेरी याद बहुत ही आई

तूने कैसे मन को मारा
कैसे खबर छिपाई
जो भैय्या ट्विटर पर पे लिक्खा
ऐश बनेंगी  माई
इतनी बड़ी प्रचण्ड वेदना
कैसे सहन की भाई
अमर भाई ,
तेरी याद बहुत ही आई

सक्सेना को जब पुलिस ने पकड़ा
कर दी उसने चुगलाई
सुहैल भी कह दिया ये कड़क नोट
तुने ही उसे दिलाई
ओ पप्पू के पापा अब तो कह दो
कौन है इन सबकी माई
अमर भाई ,तेरी याद बहुत ही आई

" मौनी बाबा " भी बोल पड़े अब
तुम अंतर्ध्यान रहोगे कबतक
किसी चैनल को अर्थदान कर
मुख प्रसवपीड़ा करो पराई
अमर भाई ,
तेरी याद बहुत ही आई

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