मंगलवार, जून 28, 2011

व्याकरण ज्ञान

मनुष्य जब शैशव अवस्था में होता है
निश्छल, निष्कपट, सीधा सरल होता है
बुद्धजीवियों के भाषाज्ञान से अबोध
दानिश्ता से दूरतलक बावसता नहीं होता है


नेताजी का भी एक
सामाजिक मान्यता प्राप्त सगा बेटा है
अबोध है
अतएव व्याकरण के भाषाज्ञान से अछुता है


शब्द के अंतिम अक्षर में प्रयुक्त
“ई” की मात्रा की जगह
सदैव “आ” का प्रयोग करता है


शायद यही कारण है वह
नेताजी को “पापा – पापा” कहता है !

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