सोचो अगर रूपिया ना
होता
वस्तु विनिमय ही चलता होता
वस्तु विनिमय ही चलता होता
क्या करते राजा कलमाड़ी
कैसे लक्ष्मण बाँगड़ू होता
गाँधी तुम कहाँ पर छपते
गाँधीवाद कहाँ फिर होता
कौन से बंडल फिर
लहराते
कैसे प्रश्नकाल फिर होता
कैसे प्रश्नकाल फिर होता
ना तो संसद सठिया पाती
चोरों का ना फिर जमघट होता
ना बाबा सलवार पहनते
ना अन्ना का अनशन होता
ना अन्ना का अनशन होता
कैसे निरमल की किरपा
बरसती
कैसे दिनाकरण का प्रेयर होता
कैसे दिनाकरण का प्रेयर होता
इतनी बाते क्या क्या
बतलाऊँ
खुद ही सोचो क्या क्या ना होता
खुद ही सोचो क्या क्या ना होता
पर एक बात जो टीस
हैं दिल पर
सचमुच अगर रूपिया ना
होता
सबसे सुखी हम
बस्तरिया होते
नक्सलवाद कहाँ फिर
होता ॥ जय हो ॥
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न मिलती फिर दारू भैया
जवाब देंहटाएंन बियर बार पर जमघट होता
न बीवी ही भाव तब देती
न रूपये को खटपट होता
बिकता ना थैली में पानी
प्यास बुझाता पनघट होता
न होता नर का व्यापार फिर
न ही रोता मरघट होता
न रोते हम मंहगाई पर
राष्ट्र भी विकसित ज्यों वट होता
मनोज
बैंक मैनेजर की मान भी लें
हटाएंपर कवि हृदय ऐसा नहीं होता
बीबी की खटपट भी रहती
मधुशाला में जमघट भी होता
वस्तु विनिमय के दौर में भी
नोट ना होती पर वोट तो होता