tag:blogger.com,1999:blog-465868005534859643.post5083323682850092495..comments2023-06-14T16:26:12.797+05:30Comments on मन बावरा रे: वस्तु विनिमयSanjay Mahapatrahttp://www.blogger.com/profile/11720517167508994369noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-465868005534859643.post-65648261085356361512012-05-15T21:41:45.549+05:302012-05-15T21:41:45.549+05:30बैंक मैनेजर की मान भी लें
पर कवि हृदय ऐसा नहीं हो...बैंक मैनेजर की मान भी लें <br />पर कवि हृदय ऐसा नहीं होता <br />बीबी की खटपट भी रहती <br />मधुशाला में जमघट भी होता <br />वस्तु विनिमय के दौर में भी<br />नोट ना होती पर वोट तो होताSanjay Mahapatrahttps://www.blogger.com/profile/11720517167508994369noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-465868005534859643.post-89961124692098818102012-05-15T21:19:24.862+05:302012-05-15T21:19:24.862+05:30न मिलती फिर दारू भैया
न बियर बार पर जमघट होता
न ब...न मिलती फिर दारू भैया<br />न बियर बार पर जमघट होता<br /><br />न बीवी ही भाव तब देती<br />न रूपये को खटपट होता <br /><br />बिकता ना थैली में पानी <br />प्यास बुझाता पनघट होता <br /><br />न होता नर का व्यापार फिर<br />न ही रोता मरघट होता <br /><br />न रोते हम मंहगाई पर <br />राष्ट्र भी विकसित ज्यों वट होता<br /><br />मनोजमनोज कुमार श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17345943104372024070noreply@blogger.com