हे पिग्गीमुखी नर
चिरकुट विदुर श्वान
भद्रजनों के भक्षक
तुम हो असुर समान
तुम नराधम नरभक्षक
तुम हो अधमपति
तुमसे ही घबराते
नर, पशु और पाषाण
किससे हुई ये गलती
किसने रचा तुम्हे
यही सोचते हरदम
ईसा, खुदा, श्री राम
अनजाने में तुमको
डॉग विजय जो कहा
मानहानि का दावा
कर बैठे सब श्वान
भूत प्रेत सब भागें
लज्जित हो तुमसे
चरण पादुका पड़ते
खाली हुआ श्मशान
जो नर तुझ जैसा गर
बके सुबह और शाम
यथा शीघ्र वो पायेगा
निशान-ए-पाकिस्तान
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