भूखे पेट में हो और भजन गोपाल कहाँ बनता है
इस उलझन में भी खुदा का ख्याल कहाँ बनता है
वो नेता हैं उन्हे हक है महलों का शाही खर्चे का
चुनाव हो गये तेरी रोटी का सवाल कहाँ बनता है
इतने मासूम नहीं जो बनायें खुद के गले का फंदा
अन्ना तू और तेरा जन लोकपाल कहाँ बनता है
मैं मुसीबत में पड़ा और आँखों से तेरी नींद गई
इस मतलबी दुनिया में ऐसा कमाल कहाँ बनता है
एक हसीना ने फकत इस्स्स्स्स्स्स्स..... लिखा, ढेरों कमेंट्स मिले
काफिर तेरे मिसरे पर ये कमाल कहाँ बनता है
hhhaaaaaaa.....haalfilhaal m sree ganesh kar deti hun comment likhne ka...
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