गाँव के आखिरी मोड़ पर
सबसे पुराना वाशिन्दा
वो बूढ़ा पीपल का पेड़
जिस पर हमने साथ-साथ
उसके सख्त हेयर क्लिप से
खुरचते हुए कई इबारतें लिखीं थी
उसी पीपल के खुरदरे बदन पर
कुछ मिटाने की जद्दोजहद में
अपने नाखूनों से कुरेदते हुए
यकबयक उसने
पिछली सारी कसमें तोड़ते हुए
एक नई कसम खाई
और फिर जाते जाते कहा
कसम है, जो तुम्हे याद करूँ
तुम भी ये वादा करो
हमारा जिक्र कभी ना करोगे
और भूल जाओगे मुझे
मैं अपने सारे दर्द-ओ-गम भूलकर
फौरन मान भी गया
न मानता तो और क्या करता
उसकी हर बात निभाने का
वादा जो कर रखा था
और उसी वादे को निभाने के लिए
रोज सोचता हूँ भूल जाऊँ उसे
रोज ये बात भूल जाता हूँ